मध्य प्रदेश: धरने पर बैठे कांग्रेस विधायकों के सामने घुटने टेकने वाले SDM और CSP का हुआ ट्रांसफर

मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेताओं के सामने जमीन पर घुटने टेककर उनकी मान-मनुहार करना 2 अफसरों को भारी पड़ गया है। Image Source : TWITTER.COM/JITUP_OFFICE

इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेताओं के सामने जमीन पर घुटने टेककर उनकी मान-मनुहार करना 2 अफसरों को भारी पड़ गया है। शासन ने घुटने टेकने वाले एसडीएम राकेश शर्मा और सीएसपी डीके तिवारी का तत्काल प्रभाव से तबादला कर दिया है। बता दें कि कोविड-19 के प्रकोप से निपटने को लेकर मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए पूर्व मंत्री जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के 3 विधायकों ने इंदौर में शनिवार को धरना दिया।

घुटने टेककर कांग्रेस विधायकों की मान-मनौव्वल कर रहे थे SDM

बता दें कि कांग्रेस विधायकों के इसी धरने के दौरान राकेश शर्मा एवं डीके तिवारी जमीन पर घुटने टेककर उनसे यह धरना खत्म करने की मान-मनुहार करते देखे गए थे। चश्मदीदों के मुताबिक एसडीएम राकेश शर्मा और सीएसपी डीके तिवारी राजबाड़ा स्थित धरनास्थल पर पहुंचे और घुटने टेककर पटवारी और 2 अन्य कांग्रेस विधायकों से बात की। प्रशासनिक अधिकारियों ने इसी मुद्रा में कांग्रेस विधायकों से अनुरोध किया कि वे धरना खत्म कर दें। एसडीएम राकेश शर्मा नेताओं से बातचीत के वक्त उनके सामने बार-बार हाथ भी जोड़ रहे थे।

घुटने टेककर बैठने वाले दोनों अफसरों का हुआ ट्रांसफर
इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद दोनों अफसरों का ट्रांसफर कर दिया गया। इंदौर के डिप्टी कलेक्टर राकेश शर्मा को तत्काल प्रभाव से स्थानांतरित करते हुए उन्हें अगले आदेश तक अस्थायी रूप से सामान्य प्रशासन विभाग (पूल) के पद पर भेज दिया गया। वहीं, पंढरीनाथ के सीएसपी डीके तिवारी का भी तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक भोपाल पुलिस मुख्यालय में उपपुलिस अधीक्षक के पद पर ट्रांसफर कर दिया गया।

इंदौर के डीएम मनीष सिंह ने जारी किया था कारण बताओ नोटिस
जिलाधिकारी मनीष सिंह ने SDM को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे पूछा था कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कदम क्यों न उठाए जायें? नोटिस में कहा गया है, ‘राजबाड़ा क्षेत्र में बिना अनुमति धरना दे रहे जन प्रतिनिधियों के समक्ष जाकर एसडीएम द्वारा जिस स्वरूप में उनसे चर्चा की गई है, वह एक कार्यपालक मजिस्ट्रेट की पदीय गरिमा एवं आचरण के साथ ही प्रशासनिक अनुशासन के भी अनुरूप नहीं है। इस कृत्य से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।’



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