ढाका: बांग्लादेश की पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में रोहिंग्या मुसलमानों की एक गैंग के संदिग्ध सदस्य मारे गए। माना जा रहा है कि ये सदस्य फिरौती के लिए किडनैपिंग में शामिल थे। अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह घटना शरणार्थी शिविरों के पास हुई, जहां म्यांमार से आए शरणार्थी रहते हैं। हैरानी की बात है कि म्यांमार की सेना के कथित अत्याचारों से परेशान होकर बांग्लादेश में शरणार्थी के तौर पर आए रोहिंग्या मुसलमानों में से कई किडनैपिंग, हत्या और नशीली दवाओं के कारोबार जैसी खतरनाक आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं।
‘पुलिस पर संदिग्धों ने चलाई गोलियां’
पुलिस इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार दास ने बताया कि शुक्रवार को उस समय गोलीबारी हुई जब सुरक्षा अधिकारियों की एक टीम कॉक्स बाजार स्थित रोहिंग्या शिविरों के पास एक जंगल में गिरोह के नेता की तलाश कर रही थी। एक दूसरे इंस्पेक्टर मोरजिना अख्तर ने बताया कि संदिग्धों ने पुलिस पर गोलियां चलाईं जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की जिसमें 4 रोहिंग्या मारे गए। अख्तर ने बताया कि पुलिस ने लगभग 40,000 नशीली गोलियां और देशी बंदूकें भी बरामद की हैं।
फिरौती न देने पर बांग्लादेशियों की हत्या
अधिकारियों और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अब्दुल हकीम के नेतृत्व वाले गिरोह ने फिरौती के लिए कई स्थानीय लोगों का अपहरण किया और उन लोगों की हत्या कर दी है जिनके परिवार फिरौती नहीं दे पाए। रिपोर्टो के अनुसार इसने पिछले दो महीनों में कम से कम 7 बांग्लादेशियों का अपहरण किया और 3 बंधकों को मार डाला। हकीम फरार चल रहा है। हालांकि मानवाधिकार समूहों ने स्वीकार किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच कुछ आपराधिक तत्त्व हैं। उन्होंने अधिकारियों से ऐसे मामलों की पूरी तरह से जांच करने का आग्रह किया है।
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