नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि जी-20 की कार्रवाई योजना कोविड-19 महामारी से निपटने की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। संकट के बीच यह तार्किक और प्रभावी बनी रहनी चाहिए। जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की तीसरी बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई। बैठक को संबोधित करते हुए सीतारमण ने जी-20 से प्रौद्योगिकी के जरिये वित्तीय समावेशन की भारत की सफलता को साझा किया। उन्होंने बताया कि 42 करोड़ बैंक खातों में 10 अरब डॉलर के बराबर की धन राशि ‘बिना किसी भौतिक संपर्क में आए’ स्थानांतरित की गयी है। वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘सीतारमण ने कहा कि जी-20 कार्रवाई योजना कोविड-19 से निपटने की हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। संकट के बीच इसे तर्कसंगत और प्रभावी बनाए रखने की जरूरत है।‘’’
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कराधान से संबंधित मुद्दों और डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियों पर कहा कि यह जरूरी है कि इस बारे में समाधान सर्वसम्मति पर आधारित हो और सरल तथा समावेशी हो। जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों ने अप्रैल में कोविड-19 महामारी से निपटने को अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के लिए कार्रवाई योजना प्रकाशित की थी। कार्रवाई योजना के तहत जी-20 के सदस्यों ने स्वास्थ्य सेवा, आर्थिक और वित्तीय उपाय करने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा इसमें एक मजबूत और स्थिर वैश्विक अर्थव्यवस्था, जरूरतमंद देशों की मदद, मौजूदा संकट से सबक लेकर भविष्य की तैयारियों के प्रावधान को भी शामिल किया गया है ।
इस बीच, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा, ‘‘जी-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में शामिल हुआ। यह बैठक वृहद अर्थव्यवस्था, पूंजी प्रवाह, सीमापार भुगतान, लिबोर से बदलाव और अन्य मुद्दों पर केंद्रित थी।’’ मंत्रालय ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘वित्त मंत्री सीतारमण ने जी-20 की बैठक भारत द्वारा महामारी के दौरान लोगों को समर्थन के लिए किए गए नीतिगत उपायों की जानकारी दी। भारत ने 295 अरब डॉलर का वृहद पैकेज दिया है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 10 प्रतिशत है।’’ कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए सरकार ने 20.97 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी। यह दुनिया में सबसे बड़े राहत पैकेज में से एक है। इस पैकेज का मकसद संकट में फंसे कारोबार क्षेत्र को उबारना और अर्थव्यवस्था के पुनरोद्धार की एक रूपरेखा तय करना है।
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