शिमला/अमरावती। हिमाचल और आंध्र प्रदेश सरकार ने संसाधनों की तंगी होने का हवाला देते हुए सोमवार को अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए नए संसोधन किए हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने जहां राज्य में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले करों में संशोधन किया है, वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार ने बसों के किराये में वृद्धि की है। नए संशोधन के बाद आंध्र प्रदेश में पेट्रोल का दाम 1.24 रुपए और डीजल का दाम 0.93 रुपए प्रति लीटर बढ़ गया। वहीं हिमाचल प्रदेश में बस किराये में 25 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि करने का फैसला किया है।
आंध्र प्रदेश को पेट्रोल-डीजल पर नए कर से 600 करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। राज्य सरकार के जारी आदेश के मुताबिक आंध्र प्रदेश मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2005 के प्रावधानों को संशोधित किया गया है, जिसके तहत पेट्रोल के लिए संशोधित दर 31 प्रतिशत कर और उसके ऊपर चार रुपए प्रति लीटर का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा। इसी प्रकार डीजल के लिए यह 22.25 प्रतिशत और उसके ऊपर चार रुपए प्रति लीटर का अतिरिक्त शुल्क होगा।
कोविड-19 लॉकडाउन के कारण राज्य सरकार का राजस्व काफी घट गया है। अप्रैल 2020 में राज्य का अपना राजस्व केवल 1,323 करोड़ रुपए रहा, जबकि एक साल पहले अप्रैल में राज्य को 4,480 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। राज्य के विशेष मुख्य सचिव (राजस्व) रजत भार्गव ने आदेश में कहा है कि इसी प्रकार का रुख मई और जून में भी देखा गया है। इन परिस्थितियों को देखते हुए और वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए राज्य सरकार ने सोच विचार के बाद वापस 2015 और 2018 की कर व्यवसथा की तरफ लौटने का फैसला किया। भार्गव ने कहा कि हमने यह सुनिश्चित किया है कि कुल दाम 2015 और 2018 के दौरान के स्तरों से ऊपर नहीं निकलें। कई राज्यों में इसी तरह की स्थिति बनी है और उन्होंने भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए कर को बढ़ाया है।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व संकट खड़ा हो गया है, जिसकी वजह से राज्य मंत्रिमंडल ने बसों का किराया बढ़ाने का निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल ने पहले तीन किलोमीटर के लिए न्यूनतम बस किराये को 5 रुपए से बढ़ाकर 7 रुपए करने का फैसला किया है। इसके अलावा तीन किलोमीटर के बाद पहाड़ी और मैदानी इलाकों में सभी यात्रियों के लिए बस के प्रति किलोमीटर किराये में 25 पैसे का इजाफा करने का फैसला किया गया है। वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा बसों के किराये में यह दूसरी वृद्धि है। 2017 में भाजपा की सरकार बनी थी और 2018 में बसों के किराये में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।
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