नई दिल्ली। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने कहा है कि उसकी वित्तीय स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है और बिना वेतन अवकाश (एलडब्ल्यूपी) योजना कर्मचारियों और प्रबंधन दोनों के लिए लाभ की स्थिति है। एयर इंडिया ने बयान में कहा कि यह योजना मुख्य रूप से स्वैच्छिक आधार पर कर्मचारियों को एलडब्ल्यूपी पर भेजने से संबंधित है। इससे पहले एयरलाइन ने मंगलवार को आंतरिक आदेश जारी कर सभी विभागीय प्रमुखों तथा क्षेत्रीय निदेशकों से इस योजना के लिए कर्मचारियों की पहचान करने को कहा था।
कर्मचारियों की पहचान दक्षता, स्वास्थ्य और अतिरिक्त संख्या के हिसाब से की जानी है। छांटे गए कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजा जाएगा। बयान में कहा गया है कि एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है और एयरलाइन अपने परिचालन को कायम रखने के लिए कई पहल कर रही है।
एयरलाइन ने कहा कि एलडब्ल्यूपी योजना प्रबंधन के साथ-साथ कर्मचारियों के फायदे की भी है। इससे कर्मचारियों को लचीलापन मिलेगा और एयरलाइन का वेतन बिल कम हो सकेगा। एयर इंडिया ने कहा कि इस योजना के तहत प्रबंधन आदेश जारी कर अनिवार्य रूप से अपने कर्मचारियो को छह से दो साल तक बिना वेतन अवकाश पर जाने के लिए कह सकता है। इस अवधि को पांच साल तक बढ़ाया जा सकता।
बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों का चयन दक्षता, क्षमता, अनुकूलता, प्रदर्शन, स्वास्थ्य, अनुपलब्धता और कुछ स्थानों पर अतिरिक्त कर्मचारी होने के आधार पर किया जाएगा। नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी एयर इंडिया द्वारा अपने कुछ कर्मचारियों को पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने के फैसले को उचित ठहराया है। पुरी ने कहा कि एयर इंडिया में हर साल 500-600 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश वहनीय नहीं है और एयर इंडिया को लागत कटौती के उपाय करने होंगे।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एयर इंडिया की आलोचना करते हुए कहा कि उसकी लीव विदाउट पे योजना श्रम कानूनों का उल्लंघन है और यह एक तरह से शीर्ष प्रबंधन को बचाने तथा कर्मचारियों की कुर्बानी लेने की योजना है।
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